श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न के जन्म, संस्कार, शीलस्वभाव एवं सद्गुण, राजा के दरबार में विश्वामित्र का आगमन और उनका सत्कार  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  1.18.6 
 
 
शान्तया प्रययौ सार्धमृष्यशृंग: सुपूजित:।
अनुगम्यमानो राज्ञा च सानुयात्रेण धीमता॥ ६॥
 
 
अनुवाद
 
  ऋष्यश्रृंग मुनि राजा दशरथ के अत्यधिक सम्मान पाकर शांता के साथ अपने स्थान को लौट गए। उस समय बुद्धिमान महाराज दशरथ ने सेवकों सहित कुछ दूर तक उनका पीछा किया और उन्हें विदा किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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