श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न के जन्म, संस्कार, शीलस्वभाव एवं सद्गुण, राजा के दरबार में विश्वामित्र का आगमन और उनका सत्कार  »  श्लोक 56
 
 
श्लोक  1.18.56 
 
 
शुभक्षेत्रगतश्चाहं तव संदर्शनात् प्रभो।
ब्रूहि यत् प्रार्थितं तुभ्यं कार्यमागमनं प्रति॥ ५६॥
 
 
अनुवाद
 
  हे प्रभु! आपके दर्शन मात्र से आज मेरा घर तीर्थ सा दिखाई देने लगा है। मैं ऐसा अनुभव कर रहा हूँ मानो मैं सभी पुण्य क्षेत्रों की तीर्थ यात्रा करके आया हूँ। कृपा करके मुझे बताइए कि आपकी क्या इच्छा है? आपके इस शुभ आगमन का शुभ उद्देश्य क्या है?
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.