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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 18: श्रीराम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न के जन्म, संस्कार, शीलस्वभाव एवं सद्गुण, राजा के दरबार में विश्वामित्र का आगमन और उनका सत्कार
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श्लोक 53
श्लोक
1.18.53
पात्रभूतोऽसि मे ब्रह्मन् दिष्टॺा प्राप्तोऽसि मानद।
अद्य मे सफलं जन्म जीवितं च सुजीवितम्॥ ५३॥
अनुवाद
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ब्रह्मन्! आप सेवा लेने के सर्वश्रेष्ठ पात्र हैं। आपका यहाँ आना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। आज मेरा जन्म सफल हुआ और मेरा जीवन धन्य हो गया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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