श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न के जन्म, संस्कार, शीलस्वभाव एवं सद्गुण, राजा के दरबार में विश्वामित्र का आगमन और उनका सत्कार  »  श्लोक 47-48h
 
 
श्लोक  1.18.47-48h 
 
 
वसिष्ठं च समागम्य कुशलं मुनिपुंगव:॥ ४७॥
ऋषींश्च तान् यथान्यायं महाभाग उवाच ह।
 
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात् महाभाग और मुनिवर विश्वामित्र वसिष्ठजी और अन्य ऋषियों से मिलकर उन सबका यथावत कुशल समाचार पूछा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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