श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न के जन्म, संस्कार, शीलस्वभाव एवं सद्गुण, राजा के दरबार में विश्वामित्र का आगमन और उनका सत्कार  »  श्लोक 44-45h
 
 
श्लोक  1.18.44-45h 
 
 
स राज्ञ: प्रतिगृह्यार्घ्यं शास्त्रदृष्टेन कर्मणा॥ ४४॥
कुशलं चाव्ययं चैव पर्यपृच्छन्नराधिपम्।
 
 
अनुवाद
 
  मुनि ने शास्त्रों की विधि के अनुसार राजा की भेंट स्वीकार की और कुशल-मंगल पूछा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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