श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न के जन्म, संस्कार, शीलस्वभाव एवं सद्गुण, राजा के दरबार में विश्वामित्र का आगमन और उनका सत्कार  »  श्लोक 42-43h
 
 
श्लोक  1.18.42-43h 
 
 
तेषां तद् वचनं श्रुत्वा सपुरोधा: समाहित:॥ ४२॥
प्रत्युज्जगाम संहृष्टो ब्रह्माणमिव वासव:।
 
 
अनुवाद
 
  उनके ऐसे वचन सुनकर राजा सतर्क हो गए। वह पुरोहित को साथ लेकर बड़े हर्ष के साथ उनकी अगवानी करने लगे, मानो स्वयं देवराज इंद्र ब्रह्माजी का स्वागत कर रहे हों।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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