श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न के जन्म, संस्कार, शीलस्वभाव एवं सद्गुण, राजा के दरबार में विश्वामित्र का आगमन और उनका सत्कार  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  1.18.3 
 
 
यथार्हं पूजितास्तेन राज्ञा च पृथिवीश्वरा:।
मुदिता: प्रययुर्देशान् प्रणम्य मुनिपुंगवम्॥ ३॥
 
 
अनुवाद
 
  विभिन्न देशों के राजा भी (जो उनके यज्ञ में सम्मिलित होने के लिए आये थे) महाराज दशरथ द्वारा यथोचित सम्मान पाकर और मुनिवर वसिष्ठ तथा ऋष्यशृंग को प्रणाम करके हर्षपूर्वक अपने-अपने देश को लौट गये।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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