श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न के जन्म, संस्कार, शीलस्वभाव एवं सद्गुण, राजा के दरबार में विश्वामित्र का आगमन और उनका सत्कार  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  1.18.19 
 
 
गायनैश्च विराविण्यो वादनैश्च तथापरै:।
विरेजुर्विपुलास्तत्र सर्वरत्नसमन्विता:॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  वहाँ गाने-बजाने वालों और अन्य लोगों की आवाजें गूंज रही थीं। सभी प्रकार के रत्न, जो दीन-दुःखियों की सहायता के लिए लुटाए गए थे, वहाँ बिखरे पड़े थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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