श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न के जन्म, संस्कार, शीलस्वभाव एवं सद्गुण, राजा के दरबार में विश्वामित्र का आगमन और उनका सत्कार  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  1.18.15 
 
 
पुष्ये जातस्तु भरतो मीनलग्ने प्रसन्नधी:।
सार्पे जातौ तु सौमित्री कुलीरेऽभ्युदिते रवौ॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
   भरत हमेशा प्रसन्नमना और खुशमिजाज रहते थे। उनका जन्म पुष्य नक्षत्र में और मीन लग्न में हुआ था। सुमित्रा के दोनों पुत्र आश्लेषा नक्षत्र में और कर्क लग्न में पैदा हुए थे। उस समय सूर्य अपने उच्च स्थान पर विराजमान थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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