श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न के जन्म, संस्कार, शीलस्वभाव एवं सद्गुण, राजा के दरबार में विश्वामित्र का आगमन और उनका सत्कार  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  1.18.11 
 
 
विष्णोरर्धं महाभागं पुत्रमैक्ष्वाकुनन्दनम्।
लोहिताक्षं महाबाहुं रक्तोष्ठं दुन्दुभिस्वनम्॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  वे भगवान विष्णु के आधे अंश से प्रकट हुए थे। कौसल्या के महाभाग्यशाली पुत्र श्री राम, इक्ष्वाकु वंश के आनंद थे। उनकी आँखें थोड़ी लाल थीं। उनके होंठ लाल, भुजाएँ बड़ी और आवाज़ दुंदुभी के शब्द की तरह गंभीर थी।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.