श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 16: श्रीहरि से रावणवध के लिये प्रार्थना, पुत्रेष्टि यज्ञ में प्राजापत्य पुरुष का प्रकट हो खीर अर्पण करना और रानियों का गर्भवती होना  »  श्लोक 32
 
 
श्लोक  1.16.32 
 
 
ततस्तु राजा प्रतिवीक्ष्य ता: स्त्रिय:
प्ररूढगर्भा: प्रतिलब्धमानस:।
बभूव हृष्टस्त्रिदिवे यथा हरि:
सुरेन्द्रसिद्धर्षिगणाभिपूजित:॥ ३२॥
 
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात जब राजा दशरथ ने उन रानियों को गर्भवती देखा तो प्रसन्न हुए। उन्हें लगा जैसे मेरी इच्छा पूरी हुई है। जैसे इंद्र, सिद्ध और ऋषियों से पूजित होकर स्वर्ग में विष्णु प्रसन्न होते हैं, ठीक उसी तरह दिव्यभूषण धारण किए धरती पर देवराज इंद्र, सिद्ध और महर्षियों से सम्मानित होकर राजा दशरथ संतुष्ट हुए।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये बालकाण्डे षोडश: सर्ग:॥ १६॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके बालकाण्डमें सोलहवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ १६॥
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.