तत्पश्चात जब राजा दशरथ ने उन रानियों को गर्भवती देखा तो प्रसन्न हुए। उन्हें लगा जैसे मेरी इच्छा पूरी हुई है। जैसे इंद्र, सिद्ध और ऋषियों से पूजित होकर स्वर्ग में विष्णु प्रसन्न होते हैं, ठीक उसी तरह दिव्यभूषण धारण किए धरती पर देवराज इंद्र, सिद्ध और महर्षियों से सम्मानित होकर राजा दशरथ संतुष्ट हुए।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये बालकाण्डे षोडश: सर्ग:॥ १६॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके बालकाण्डमें सोलहवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ १६॥