श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 15: ऋष्यशृंग द्वारा राजा दशरथ के पुत्रेष्टि यज्ञ का आरम्भ, ब्रह्माजी का रावण के वध का उपाय ढूँढ़ निकालना  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  1.15.4 
 
 
ततो देवा: सगन्धर्वा: सिद्धाश्च परमर्षय:।
भागप्रतिग्रहार्थं वै समवेता यथाविधि॥ ४॥
 
 
अनुवाद
 
  तब देवता, सिद्ध, गन्धर्व और महर्षिगण विधि-विधान के अनुसार यज्ञ में अपना-अपना भाग प्राप्त करने के लिए एकत्रित हुए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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