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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 15: ऋष्यशृंग द्वारा राजा दशरथ के पुत्रेष्टि यज्ञ का आरम्भ, ब्रह्माजी का रावण के वध का उपाय ढूँढ़ निकालना
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श्लोक 32
श्लोक
1.15.32
ततो देवर्षिगन्धर्वा: सरुद्रा: साप्सरोगणा:।
स्तुतिभिर्दिव्यरूपाभिस्तुष्टुवुर्मधुसूदनम्॥ ३२॥
अनुवाद
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तब देवता, ऋषि, गंधर्व, रुद्र और अप्सराओं ने दिव्य स्तुतियों से भगवान् मधुसूदन की स्तुति की।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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