श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 15: ऋष्यशृंग द्वारा राजा दशरथ के पुत्रेष्टि यज्ञ का आरम्भ, ब्रह्माजी का रावण के वध का उपाय ढूँढ़ निकालना  »  श्लोक 31-32h
 
 
श्लोक  1.15.31-32h 
 
 
तत: पद्मपलाशाक्ष: कृत्वाऽऽत्मानं चतुर्विधम्॥ ३१॥
पितरं रोचयामास तदा दशरथं नृपम्।
 
 
अनुवाद
 
  तदनंतर पद्म के समान सुंदर आँखों वाले श्रीहरि ने अपने आप को चार स्वरूपों में प्रकट करके राजा दशरथ को पिता बनाने का निश्चय किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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