श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 15: ऋष्यशृंग द्वारा राजा दशरथ के पुत्रेष्टि यज्ञ का आरम्भ, ब्रह्माजी का रावण के वध का उपाय ढूँढ़ निकालना  »  श्लोक 30-31h
 
 
श्लोक  1.15.30-31h 
 
 
एवं दत्त्वा वरं देवो देवानां विष्णुरात्मवान्॥ ३०॥
मानुष्ये चिन्तयामास जन्मभूमिमथात्मन:।
 
 
अनुवाद
 
  स्वयं के मन में समाए हुए देवताओं के देवता भगवान विष्णु ने उन सबको वरदान देकर मानव लोक में अपना जन्म स्थान सोचा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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