श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 15: ऋष्यशृंग द्वारा राजा दशरथ के पुत्रेष्टि यज्ञ का आरम्भ, ब्रह्माजी का रावण के वध का उपाय ढूँढ़ निकालना  »  श्लोक 26-27
 
 
श्लोक  1.15.26-27 
 
 
एवं स्तुतस्तु देवेशो विष्णुस्त्रिदशपुंगव:॥ २६॥
पितामहपुरोगांस्तान् सर्वलोकनमस्कृत:।
अब्रवीत् त्रिदशान् सर्वान् समेतान् धर्मसंहितान्॥ २७॥
 
 
अनुवाद
 
  तब स्तुति करने पर सर्वलोकपूजित श्रेष्ठ देवता देवाधिदेव भगवान विष्णु ने वहाँ एकत्रित हुए पितामह आदि सभी धर्मनिष्ठ देवताओं से कहा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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