श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 15: ऋष्यशृंग द्वारा राजा दशरथ के पुत्रेष्टि यज्ञ का आरम्भ, ब्रह्माजी का रावण के वध का उपाय ढूँढ़ निकालना  »  श्लोक 24-25h
 
 
श्लोक  1.15.24-25h 
 
 
वधार्थं वयमायातास्तस्य वै मुनिभि: सह॥ २४॥
सिद्धगन्धर्वयक्षाश्च ततस्त्वां शरणं गता:।
 
 
अनुवाद
 
  इसलिये हम सब सिद्ध, गन्धर्व, यक्ष और देवता मुनियों के साथ उसके वध के लिए आपकी शरण में आए हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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