श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 11: राजा दशरथ का सपरिवार अंगराज के यहाँ जाकर वहाँ से शान्ता और ऋष्यश्रृंग को अपने घर ले आना  »  श्लोक 27-28
 
 
श्लोक  1.11.27-28 
 
 
तत: प्रमुदिता: सर्वे दृष्ट्वा वै नागरा द्विजम्॥ २७॥
प्रवेश्यमानं सत्कृत्य नरेन्द्रेणेन्द्रकर्मणा।
यथा दिवि सुरेन्द्रेण सहस्राक्षेण काश्यपम्॥ २८॥
 
 
अनुवाद
 
  सभी नगरनिवासी उन द्विज कुमार को देखकर बहुत प्रसन्न हुए और इन्द्र के समान पराक्रमी राजा दशरथ के साथ नगर में प्रवेश करने पर उनका उसी तरह सत्कार किया जैसे देवताओं ने स्वर्ग में सहस्राक्ष इन्द्र के साथ प्रवेश करते हुए कश्यप नन्दन वामन जी का सत्कार किया था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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