न तेन जन्मप्रभृति दृष्टपूर्वं तपस्विना।
स्त्री वा पुमान् वा यच्चान्यत् सत्त्वं नगरराष्ट्रजम्॥ ९॥
अनुवाद
न उस तपस्वी ऋषिकुमार ने अपने जन्म से लेकर उस समय तक पहले कभी कोई स्त्री देखी थी और न पिता के सिवा किसी दूसरे पुरुष को ही देखा था। नगर अथवा राष्ट्र के गाँवों में जन्मे दूसरे जीव-जन्तुओं को भी वे नहीं देख पाए थे॥ ९॥