श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 10: अंगदेश में ऋष्यश्रृंग के आने तथा शान्ता के साथ विवाह होने के प्रसंग का विस्तार के साथ वर्णन  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  1.10.9 
 
 
न तेन जन्मप्रभृति दृष्टपूर्वं तपस्विना।
स्त्री वा पुमान् वा यच्चान्यत् सत्त्वं नगरराष्ट्रजम्॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  न उस तपस्वी ऋषिकुमार ने अपने जन्म से लेकर उस समय तक पहले कभी कोई स्त्री देखी थी और न पिता के सिवा किसी दूसरे पुरुष को ही देखा था। नगर अथवा राष्ट्र के गाँवों में जन्मे दूसरे जीव-जन्तुओं को भी वे नहीं देख पाए थे॥ ९॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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