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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 10: अंगदेश में ऋष्यश्रृंग के आने तथा शान्ता के साथ विवाह होने के प्रसंग का विस्तार के साथ वर्णन
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श्लोक 4
श्लोक
1.10.4
इन्द्रियार्थैरभिमतैर्नरचित्तप्रमाथिभि:।
पुरमानाययिष्याम: क्षिप्रं चाध्यवसीयताम्॥ ४॥
अनुवाद
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इन्द्रिय-अर्थों से मनुष्यों के चित्त को प्रमाथी अर्थात् मथ डालने वाले विषयों का प्रलोभन देकर उन्हें हमारे नगर में ले आएँगे, अतः इसके लिए शीघ्र ही प्रयास किया जाए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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