श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 10: अंगदेश में ऋष्यश्रृंग के आने तथा शान्ता के साथ विवाह होने के प्रसंग का विस्तार के साथ वर्णन  »  श्लोक 33
 
 
श्लोक  1.10.33 
 
 
एवं स न्यवसत् तत्र सर्वकामै: सुपूजित:।
ऋष्यशृंगो महातेजा: शान्तया सह भार्यया॥ ३३॥
 
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार महातेजस्वी ऋष्यशृंग राजा द्वारा पूजे जाने के बाद अपनी सभी इच्छाओं को प्राप्त कर, अपनी पत्नी शान्ता के साथ वहाँ रहने लगे।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये बालकाण्डे दशम: सर्ग:॥ १०॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके बालकाण्डमें दसवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ १०॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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