श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 10: अंगदेश में ऋष्यश्रृंग के आने तथा शान्ता के साथ विवाह होने के प्रसंग का विस्तार के साथ वर्णन  »  श्लोक 32
 
 
श्लोक  1.10.32 
 
 
अन्त:पुरं प्रवेश्यास्मै कन्यां दत्त्वा यथाविधि।
शान्तां शान्तेन मनसा राजा हर्षमवाप स:॥ ३२॥
 
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात् ऋषिशृंग को अपनी रानी के साथ अंतःपुर में ले जाकर उन्होंने शांतिपूर्ण मन से अपनी कन्या शांता का विधिविधान से उनके साथ विवाह कर दिया। ऐसा करके राजा दशरथ को बहुत प्रसन्नता हुई।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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