श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 10: अंगदेश में ऋष्यश्रृंग के आने तथा शान्ता के साथ विवाह होने के प्रसंग का विस्तार के साथ वर्णन  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  1.10.30 
 
 
वर्षेणैवागतं विप्रं तापसं स नराधिप:।
प्रत्युद‍्गम्य मुनिं प्रह्व: शिरसा च महीं गत:॥ ३०॥
 
 
अनुवाद
 
  वर्षा ऋतु के आगमन से ही राजा ने अनुमान लगा लिया कि तपस्वी ब्राह्मणकुमार आ गए हैं। तब राजा ने बड़ी विनम्रता के साथ उनकी अगवानी की और पृथ्वी पर मस्तक टेककर उन्हें साष्टांग प्रणाम किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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