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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 10: अंगदेश में ऋष्यश्रृंग के आने तथा शान्ता के साथ विवाह होने के प्रसंग का विस्तार के साथ वर्णन
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श्लोक 21
श्लोक
1.10.21
तानि चास्वाद्य तेजस्वी फलानीति स्म मन्यते।
अनास्वादितपूर्वाणि वने नित्यनिवासिनाम्॥ २१॥
अनुवाद
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उन तेजस्वी ऋषियों ने उन पदार्थों का स्वाद लेकर समझ लिया कि ये भी फल ही हैं; क्योंकि उस दिन से पहले उन्होंने कभी ऐसे पदार्थ नहीं खाए थे। दरअसल, जंगलों में रहने वाले लोगों के लिए ऐसी वस्तुओं के स्वाद लेने का अवसर ही कहाँ है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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