वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 1: बाल काण्ड
»
सर्ग 10: अंगदेश में ऋष्यश्रृंग के आने तथा शान्ता के साथ विवाह होने के प्रसंग का विस्तार के साथ वर्णन
»
श्लोक 14
श्लोक
1.10.14
पिता विभाण्डकोऽस्माकं तस्याहं सुत औरस:।
ऋष्यशृंग इति ख्यातं नाम कर्म च मे भुवि॥ १४॥
अनुवाद
play_arrowpause
"मैं ऋष्यशृंग हूँ, विभाण्डक मुनि के पुत्र और औरस संतान। मेरा नाम और मेरी तपस्याएँ भुवनलोक में विख्यात हैं।"
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.