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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 0: श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण माहात्म्य
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सर्ग 2: नारद सनत्कुमार-संवाद, सुदास या सोमदत्त नामक ब्राह्मण को राक्षसत्व की प्राप्ति तथा रामायण-कथा-श्रवण द्वारा उससे उद्धार
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श्लोक 8
श्लोक
0.2.8
एतस्मिन्नन्तरे विप्रा देवर्षिर्नारदो मुनि:।
आजगामोच्चरन् नाम हरेर्नारायणादिकम्॥ ८॥
अनुवाद
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विप्रो! इतने में ही देवर्षि नारद मुनि भगवान के नारायण आदि नामों का उच्चारण करते हुए वहाँ आ पहुँचे।। ८।।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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