श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 0: श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण माहात्म्य  »  सर्ग 2: नारद सनत्कुमार-संवाद, सुदास या सोमदत्त नामक ब्राह्मण को राक्षसत्व की प्राप्ति तथा रामायण-कथा-श्रवण द्वारा उससे उद्धार  »  श्लोक 70
 
 
श्लोक  0.2.70 
 
 
नारद उवाच
तस्माच्छृणुध्वं विप्रेन्द्रा रामायणकथामृतम्।
स तस्य महिमा तत्र ऊर्जे मासि च कीर्त्यते॥ ७०॥
 
 
अनुवाद
 
  नारद जी कहते हैं - हे विप्रवरगण! अब आपलोग भी रामायण की अमृतपूर्ण कथा सुनिए। इसके श्रवण की महिमा सदैव होती है, लेकिन कार्तिक मास में विशेष बताई गई है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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