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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 0: श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण माहात्म्य
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सर्ग 2: नारद सनत्कुमार-संवाद, सुदास या सोमदत्त नामक ब्राह्मण को राक्षसत्व की प्राप्ति तथा रामायण-कथा-श्रवण द्वारा उससे उद्धार
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श्लोक 65-66h
श्लोक
0.2.65-66h
तस्मादूर्जे सिते पक्षे रामायणकथां शृणु॥ ६५॥
नवाह्ना खलु श्रोतव्यं सावधान: सदा भव।
अनुवाद
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इस कारण कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में तुम सब रामायण की कथा को सुनो। इस कथा को नौ दिनों तक सुनने का विधान है। अतः तुम सदा सावधान रहना।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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