श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 0: श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण माहात्म्य  »  सर्ग 2: नारद सनत्कुमार-संवाद, सुदास या सोमदत्त नामक ब्राह्मण को राक्षसत्व की प्राप्ति तथा रामायण-कथा-श्रवण द्वारा उससे उद्धार  »  श्लोक 57-58h
 
 
श्लोक  0.2.57-58h 
 
 
वाल्मीकिमुनिना पूर्वं कथा रामायणस्य च॥ ५७॥
ऊर्जे मासे सिते पक्षे श्रोतव्या च प्रयत्नत:।
 
 
अनुवाद
 
  पूर्व काले में महर्षि वाल्मीकि ने जिस रामायण की रचना की थी, उसका कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में श्रवण करना चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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