श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 0: श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण माहात्म्य  »  सर्ग 2: नारद सनत्कुमार-संवाद, सुदास या सोमदत्त नामक ब्राह्मण को राक्षसत्व की प्राप्ति तथा रामायण-कथा-श्रवण द्वारा उससे उद्धार  »  श्लोक 55-56h
 
 
श्लोक  0.2.55-56h 
 
 
सर्वथा त्वं महाभाग रागादिरहितो द्विज॥ ५५॥
रामकथाप्रभावेण पाह्यस्मात् पातकाधमात्।
 
 
अनुवाद
 
  हे महाभाग ब्राह्मण! हे विप्र! आप श्रीराम कथा के प्रभाव से सर्वथा रागादि दोषों से रहित हो गए हैं। अतः आप मुझे इस अधम पाप से बचाइए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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