गर्ग मुनि को आते देख राक्षस सुदास बोला, "हमारा भोजन आ गया है।" यह कहते हुए उसने अपनी दोनों भुजाओं को ऊपर उठाकर मुनि की ओर बढ़ना शुरू कर दिया; लेकिन मुनि के मुख से निकल रहे भगवान के नामों को सुनकर वह दूर ही खड़ा रह गया। उन ब्रह्मर्षि को मारने में असमर्थ होकर राक्षस ने उनसे इस प्रकार कहा॥ ५०-५१ १/२॥