श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 0: श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण माहात्म्य  »  सर्ग 2: नारद सनत्कुमार-संवाद, सुदास या सोमदत्त नामक ब्राह्मण को राक्षसत्व की प्राप्ति तथा रामायण-कथा-श्रवण द्वारा उससे उद्धार  »  श्लोक 38-39
 
 
श्लोक  0.2.38-39 
 
 
विप्र उवाच
केन रामायणं प्रोक्तं चरितानि तु कस्य वै॥ ३८॥
एतत् सर्वं महाप्राज्ञ संक्षेपाद् वक्तुमर्हसि।
मनसा प्रीतिमापन्नो ववन्दे चरणौ गुरो:॥ ३९॥
 
 
अनुवाद
 
  ब्राह्मण ने पूछा— रामायण की कथा किसने कही है? और उसमें किन पात्रों का वर्णन किया गया है? हे महापंडित! यह सब संक्षेप में बताने की कृपा करिए। ऐसा कहकर मन ही मन प्रसन्न हो सौदास ने गुरु के चरणों में प्रणाम किया॥ ३८-३९॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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