श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 0: श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण माहात्म्य  »  सर्ग 2: नारद सनत्कुमार-संवाद, सुदास या सोमदत्त नामक ब्राह्मण को राक्षसत्व की प्राप्ति तथा रामायण-कथा-श्रवण द्वारा उससे उद्धार  »  श्लोक 30-32h
 
 
श्लोक  0.2.30-32h 
 
 
विप्रस्तु गौतमाख्येन मुनिना ब्रह्मवादिना॥ ३०॥
श्रावित: सर्वधर्मांश्च गंगातीरे मनोरमे।
पुराणशास्त्रकथनैस्तेनासौ बोधितोऽपि च॥ ३१॥
श्रुतवान् सर्वधर्मान् वै तेनोक्तानखिलानपि।
 
 
अनुवाद
 
  वे ब्राह्मण सौदास नाम से भी विख्यात थे। उस ब्राह्मण ने ब्रह्मवादी गौतम मुनि से गंगाजी के मनोरम तट पर बैठकर सम्पूर्ण धर्मों का उपदेश सुना था। गौतम ऋषि ने उन्हें पुराणों और शास्त्रों की कथाओं से तत्वज्ञान कराया था। सौदास ने गौतम ऋषि से उनके बताए हुए समस्त धर्मों का श्रवण किया था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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