यो दैत्यहन्ता नरकान्तकश्च
भुजाग्रमात्रेण च धर्मगोप्ता॥ १७॥
भूभारसंघातविनोदकामं
नमामि देवं रघुवंशदीपम्।
अनुवाद
रघुकुल के सूर्य श्रीरामदेव को मेरा नमन है, जो दैत्यों के नाशक और नरक के अंत करने वाले हैं, जो अपने हाथ के संकेत भर से या अपनी भुजाओं के बल से धर्म की रक्षा करते हैं, पृथ्वी के भार को नष्ट करना जिनका मनोरंजन मात्र है और जो उस मनोरंजन की सदा अभिलाषा रखते हैं।