येनेदमखिलं जातं जगत् स्थावरजंगमम्।
गंगा पादोद्भवा यस्य कथं स ज्ञायते हरि:॥ १४॥
अनुग्राह्योऽस्मि यदि ते तत्त्वतो वक्तुमर्हसि।
अनुवाद
इसलिए मैं पूछता हूँ के जिन विश्व के सभी चराचरों की उत्पत्ति हुई है और ये गंगाजी जिनके चरणों से प्रकट हुई हैं, उन श्रीहरि का स्वरूप कैसे जाना जा सकता है? यदि आपकी हम लोगों पर कृपा है तो हमारे इस प्रश्न का सही ढंग से विश्लेषण करें।