श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 0: श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण माहात्म्य  »  सर्ग 2: नारद सनत्कुमार-संवाद, सुदास या सोमदत्त नामक ब्राह्मण को राक्षसत्व की प्राप्ति तथा रामायण-कथा-श्रवण द्वारा उससे उद्धार  »  श्लोक 1-2
 
 
श्लोक  0.2.1-2 
 
 
ऋषय ऊचु:
कथं सनत्कुमाराय देवर्षिर्नारदो मुनि:।
प्रोक्तवान् सकलान् धर्मान् कथं तौ मिलितावुभौ॥ १॥
कस्मिन् क्षेत्रे स्थितौ तात तावुभौ ब्रह्मवादिनौ।
यदुक्तं नारदेनास्मै तत् त्वं ब्रूहि महामुने॥ २॥
 
 
अनुवाद
 
  ऋषि बोले – हे महामुने! देवर्षि नारदमुनि ने सनत्कुमारजी से रामायण से जुड़े सभी धर्मों का वर्णन किस प्रकार किया था? वे दोनों ब्रह्मवादी महात्मा किस क्षेत्र में मिले थे? तात! उन्होंने कहाँ विश्राम किया था? नारदजी ने उनसे जो कुछ कहा था, वह सब आप हमें बताइए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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