श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 0: श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण माहात्म्य  »  सर्ग 1: कलियुग की स्थिति, कलिकाल के मनुष्यों के उद्धार का उपाय, रामायणपाठ, उसकी महिमा, उसके श्रवण के लिये उत्तम काल आदि का वर्णन  »  श्लोक 41-42h
 
 
श्लोक  0.1.41-42h 
 
 
गौतमशापत: प्राप्त: सौदासो राक्षसीं तनुम्॥ ४१॥
रामायणप्रभावेण विमुक्तिं प्राप्तवान् पुन:।
 
 
अनुवाद
 
  सौदास महर्षि गौतम के श्राप के कारण राक्षस-शरीर में परिवर्तित हो गए थे। वे रामायण के प्रभाव से ही उस श्राप से मुक्त हो सके थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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