श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 0: श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण माहात्म्य  »  सर्ग 1: कलियुग की स्थिति, कलिकाल के मनुष्यों के उद्धार का उपाय, रामायणपाठ, उसकी महिमा, उसके श्रवण के लिये उत्तम काल आदि का वर्णन  »  श्लोक 40-41h
 
 
श्लोक  0.1.40-41h 
 
 
ऊर्जे माघे सिते पक्षे चैत्रे च द्विजसत्तमा:॥ ४०॥
यस्य श्रवणमात्रेण सौदासोऽपि विमोचित:।
 
 
अनुवाद
 
  श्रेष्ठ ब्राह्मणो! कार्तिक, माघ और चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में रामायण का श्रवण करने मात्र से ही (राक्षस भाव से पीड़ित) शूद्र भी शाप से मुक्त हो गए थे।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.