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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 0: श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण माहात्म्य
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सर्ग 1: कलियुग की स्थिति, कलिकाल के मनुष्यों के उद्धार का उपाय, रामायणपाठ, उसकी महिमा, उसके श्रवण के लिये उत्तम काल आदि का वर्णन
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श्लोक 32
श्लोक
0.1.32
इत्येवं शृणुयाद् यस्तु श्रीरामचरितं शुभम्।
सर्वान् कामानवाप्नोति परत्रामुत्र चोत्तमान्॥ ३२॥
अनुवाद
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श्रीरामचन्द्रजी के पावन चरित्र का जो श्रवण करता है, वह इस लोक और परलोक दोनों में अपनी सभी मनोकामनाओं को प्राप्त कर लेता है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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