श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 0: श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण माहात्म्य  »  सर्ग 1: कलियुग की स्थिति, कलिकाल के मनुष्यों के उद्धार का उपाय, रामायणपाठ, उसकी महिमा, उसके श्रवण के लिये उत्तम काल आदि का वर्णन  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  0.1.26 
 
 
रामायणे वर्तमाने पापपाशेन यन्त्रित:।
अनादृत्य असद्‍गाथासक्तबुद्धि: प्रवर्तते॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  रामायण की कथा शुरू हो जाने पर जो व्यक्ति पाप के बंधन में फँसा हुआ होता है, वह उसका तिरस्कार करके तुच्छ और निम्न-स्तरीय बातों में उलझ जाता है। ऐसी नकारात्मक और बुरी कहानियों में उसकी बुद्धि लिप्त हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप वह उन कहानियों के अनुरूप आचरण करने लगता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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