रामायण की कथा शुरू हो जाने पर जो व्यक्ति पाप के बंधन में फँसा हुआ होता है, वह उसका तिरस्कार करके तुच्छ और निम्न-स्तरीय बातों में उलझ जाता है। ऐसी नकारात्मक और बुरी कहानियों में उसकी बुद्धि लिप्त हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप वह उन कहानियों के अनुरूप आचरण करने लगता है।