श्रीराम: शरणं समस्तजगतां
रामं विना का गती
रामेण प्रतिहन्यते कलिमलं
रामाय कार्यं नम:।
रामात् त्रस्यति कालभीमभुजगो
रामस्य सर्वं वशे
रामे भक्तिरखण्डिता भवतु मे
राम त्वमेवाश्रय:*॥ १॥
अनुवाद
श्री रामचन्द्र जी सम्पूर्ण संसार को शरण देने वाले हैं। श्रीराम के बिना क्या गति है। श्रीराम कलियुग के सभी दोषों को नष्ट कर देते हैं; अत: श्री रामचन्द्र जी को नमस्कार करना चाहिये। श्रीरामसे काल रूपी भयंकर सर्प भी डरता है। जगत् का सब कुछ भगवान् श्रीरामके वशमें है। श्रीराममें मेरी अखण्ड भक्ति बनी रहे। हे राम! आप ही मेरे आधार हैं॥ १॥