श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 9: परम गुह्य ज्ञान  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  9.4 
 
 
मया ततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमूर्तिना ।
मत्स्थानि सर्वभूतानि न चाहं तेष्ववस्थित: ॥ ४ ॥
 
अनुवाद
 
  मेरे द्वारा, मेरे अव्यक्त रूप में, यह सम्पूर्ण ब्रह्मांड व्याप्त है। सभी प्राणी मुझमें हैं, किंतु मैं उनमें नहीं हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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