शुभाशुभफलैरेवं मोक्ष्यसे कर्मबन्धनै: ।
सन्न्यासयोगयुक्तात्मा विमुक्तो मामुपैष्यसि ॥ २८ ॥
अनुवाद
इस प्रकार, तुम कर्म के बंधन और उसके शुभ-अशुभ परिणामों से मुक्त हो सकोगे। त्याग के इस सिद्धांत में अपना मन मुझ पर केंद्रित करके, तुम मुक्त होकर मेरे पास आ सकोगे।