श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 9: परम गुह्य ज्ञान  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  9.27 
 
 
यत्करोषि यदश्न‍ासि यज्ज‍ुहोषि ददासि यत् ।
यत्तपस्यसि कौन्तेय तत्कुरुष्व मदर्पणम् ॥ २७ ॥
 
अनुवाद
 
  हे कुन्ती पुत्र! तुम जो कुछ भी करते हो, खाते हो, अर्पित करते हो या दान देते हो, और जो भी तपस्याएँ करते हो, उसे मेरे समर्पण के रूप में करो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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