श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 9: परम गुह्य ज्ञान  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  9.11 
 
 
अवजानन्ति मां मूढा मानुषीं तनुमाश्रितम् ।
परं भावमजानन्तो मम भूतमहेश्वरम् ॥ ११ ॥
 
अनुवाद
 
  जब मैं मानवीय रूप में नीचे उतरकर अवतार लेता हूँ, तो मूर्ख मुझ पर हँसते हैं। वे सभी के परमेश्वर के तौर पर मेरे दिव्य स्वभाव को नहीं समझते।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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