श्रीभगवानुवाच
इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे ।
ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात् ॥ १ ॥
अनुवाद
श्रीभगवान् ने कहा- हे अर्जुन! तू मुझसे कभी ईर्ष्या नहीं करता, इसलिए मैं तुम्हें ये अतिविशिष्ट और गूढ़ ज्ञान व इसकी अनुभूति प्रदान करूँगा, जिसे जानकर तुम संसारिक दुःखों से मुक्त हो जाओगे।