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श्रीमद् भगवद्-गीता
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अध्याय 8: भगवत्प्राप्ति
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श्लोक 9
श्लोक
8.9
कविं पुराणमनुशासितार-
मणोरणीयांसमनुस्मरेद्य: ।
सर्वस्य धातारमचिन्त्यरूप-
मादित्यवर्णं तमस: परस्तात् ॥ ९ ॥
अनुवाद
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सर्वज्ञ, पुरातन, नियन्ता, अतिसूक्ष्म, सर्वाधिकारियों का पालनहार, समस्त भौतिक ज्ञान से परे, अचिन्तनीय और सदैव मानवीय रूप वाले परमपुरुष का ध्यान करना चाहिए। सूर्य के समान प्रकाशित और इस भौतिक प्रकृति से परे, वे दिव्य रूप हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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