भक्ति मार्ग को अपनाने वाला व्यक्ति वेदों के अध्ययन, तपस्या, दान, दार्शनिक व सकाम कर्मों से मिलने वाले फलों से वंचित नहीं होता। वह सिर्फ भक्ति करके ही इन सभी फलों की प्राप्ति कर लेता है और अंत में परम नित्य धाम को प्राप्त कर लेता है।
इस प्रकार श्रीमद् भगवद्-गीता के अंतर्गत आठवाँ अध्याय समाप्त होता है ।