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श्रीमद् भगवद्-गीता
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अध्याय 8: भगवत्प्राप्ति
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श्लोक 24
श्लोक
8.24
अग्निर्ज्योतिरह: शुक्लः षण्मासा उत्तरायणम् ।
तत्र प्रयाता गच्छन्ति ब्रह्म ब्रह्मविदो जना: ॥ २४ ॥
अनुवाद
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जो परब्रह्म ज्ञाता हैं, वे अग्निदेव के प्रभाव में रहते हुए, प्रकाश में, दिन के शुभ समय में, शुक्ल पक्ष में या जब सूर्य उत्तरायण में रहता है उन छह महीनों में इस संसार से विदा लेकर उस परब्रह्म को प्राप्त कर लेते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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