श्रीमद् भगवद्-गीता » अध्याय 8: भगवत्प्राप्ति » श्लोक 23 |
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| | श्लोक 8.23  | |  | | यत्र काले त्वनावृत्तिमावृत्तिं चैव योगिन: ।
प्रयाता यान्ति तं कालं वक्ष्यामि भरतर्षभ ॥ २३ ॥ | | अनुवाद | | हे भारतश्रेष्ठ! अब मैं तुम्हें उन विभिन्न कालों के बारे में बताऊँगा जिसके कारण इस दुनिया से जाने के बाद योगी फिर से आता है या नहीं। | |
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